फूलन देवी का इतिहास | Phoolan devi history : जाने सब कुछ एक जगह.

क्या होता है जब किसी का 3 हफ्ते तक दर्जनों लोग रेप करते है बारी बारी से. और जिसकी 11 साल की उम्र में 35 साल के लड़के की शादी हो जाती हैं. जाने सब कुछ आज विस्तार से फूलन देवी के बारे में.

फूलन देवी कहां की रहने वाली थी

  जिंदगी का पहला हिस्सा –

ये एक रियल स्टोरी है एक Bandit Queen, चंबल की डाकू फूलन देवी की.

1963 मे UP के जालौन जिला के छोटे से गांव गोरहा का पूर्वा मे एक लड़की का एकमल्लाह जाती मे जन्म होता है,, जिसका नाम फूलन रखा जाता है.मल्लाह उसे बोलते है जो नाव चलाता है. फूलन देवी के परिवार मे कुल 6 लोग थे, माता पिता, सबसे बड़ी एक बहन उसके बाद दो भाई और सबसे छोटी फूलन देवी.

Phoolon devi

फूलन देवी के पिता नाव चलाते थे और बेहद गरीब परिवार था इनका, इनके पास एक छोटा जमीन का टुकड़ा भी था, जिससे ये अनाज उगा लेते थे, लेकिन उसके कई हिस्से पर फूलन देवी के चाचा और उसके बेटों ने कब्जा कर लिया था. 

   जिसके कारण फूलन देवी का परिवार दुखी रहता था, जिसके कारण फूलन देवी 10 साल की उम्र मे ही अपनी बहन के साथ अपने चाचा और उसके बेटे से लड़ाई कर ली और 10 साल के उम्र मे ही उसने पुलिस स्टेशन के बाहर धरना दे दिया था,

     उसी समय एक दुखद घटना होती है कि फूलन के दोनों भाइयों की मौत हो जाती है, घर के लोग दुखी, परेशान, उसपर से फूलन देवी जो बार बार चाचा और उनके बेटों से लड़ने लगती, यहां तक कि जब उसके चचेरे भाइयों ने उसे मारा, तो फूलन देवी भी पत्थर से उसको मार दिया करती. अब फूलन देवी के आसपास के लड़कों से भी झगड़े होने लगे और किस्से घर मे आने लगे. अब माँ बाप पहले से परेशान और बेटी की इस हरकत से और परेशान होकर, फूलन देवी की शादी 11 साल की उम्र मे एक 35 साल के लड़के से कर दी जाती है.

  अब उस समय up बिहार में बाल विवाह था, लेकिन लड़की को लड़के के घर बालिग़ होने पर भेजा जाता. लेकिन चुकी फूलन देवी के पिता फूलन देवी से परेशान थे इसलिए उन्होंने उसे अपने पति के घर भेज दिया.

      उसके बाद 11 साल की उम्र में ही अपने पति के घर वो जाती है जहा उसके पति फूलन के साथ जबरदस्ती करते है. उसका रेप करते है, जिसके कारण फूलन भाग कर अपने घर आ जाती है, लेकिन पिता बार बार उसे ससुराल भेज देते है, जहां बार बार उसके साथ जबरदस्ती किया जाता. जिसके कारण फूलन देवी अपने पति से डरने लगी, और ये बात उसके मन मे बैठ गयी.

      जब बार बार वो भाग कर अपने घर आती, तो पिता ने परेशान होकर, पास के पुलिस स्टेशन मे ये रिपोर्ट लिखवा दी कि फूलन ने सोने की अंगुठी चोरी कर ली है, अब पुलिस पहले से फूलन को जानते थे कि ये शांत नहीं है शर्माती नहीं है, 

उसके बाद फूलन को 3 दिन तक जेल में रखा जाता है, कहते हैं कि उन तीन दिनों तक फूलन का पुलिस वाले रेप करते है,

       जब वो बाहर आती है तो पिता फिर उसे अपने ससुराल भेज देते है, लेकिन जब वो ससुराल जाती है तो उसके पति दूसरा शादी कर लेते हैं, और फूलन को उसके समान सहित वापस घर भेज दिया जाता है.

अब आता है फूलन देवी के जीवन का दूसरा हिस्सा – 

 कहते हैं ये सब अब तक पूरे गांव के लोगों को पता चल चुकी थी, और वहां फूलन के जाती मल्लाह के ही कुछ लोग जो डाकू थे उनके साथ फूलन की जान पहचान होती है,और उनके जरिए फूलन 1979 में चंबल घाटी पहुच जाती है.

  जिस गैंग मे वो थी उस गैंग के लीडर का नाम था बाबू गुर्जर, और जो दूसरे नंबर पे था वो फूलन के ही जाती का था जिसका नाम था विक्रम मल्लाह. चुकी फूलन, विक्रम मल्लाह के जाती की थी, इसलिए विक्रम का फूलन के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर था. 

    एक रात उस गैंग के लीडर बाबू गुर्जर ने फूलन के साथ रेप करने की कोशिश की, जब फूलन देवी की चिल्लाने की आवाज विक्रम को सुनाई दी तो वो वहा आया और फिर बाबू और विक्रम मे लड़ाई हो गई, जिसमें विक्रम मल्लाह ने बाबू गुर्जर को मार दिया. 

        अब ये बात गैंग मे फैल गई कि लीडर की मौत फूलन देवी के कारण किया गया है. अब गैंग का लीडर विक्रम मल्लाह बन जाता है. विक्रम ने ही फूलन को डाकू के सारे गुड़, बंदूक चलाना सब सिखाया. 

   और उसके कुछ दिन बाद फूलन देवी उस गांव मे जाती है जहा उसका विवाह बचपन मे किया गया था, और अपने आदमियों के साथ मिलकर फूलन देवी अपने पति को घसीट कर बाहर लाती है और उसे अधमरा होने तक मारती है, इसके बाद वहा पर्ची लिखवा देती है कि इस गांव में अगर किसी बच्ची के साथ शादी किया गया तो उस आदमी को फूलन मार देगी. 

 इसके कुछ दिन बाद उस गैंग को दो और लीडर श्री राम और लाला राम जो जेल मे थे वो छूट कर आते है. 

  उन्हें जब पता चलता है कि गैंग के सरदार की मौत विक्रम ने फूलन देवी के कारण की है, उसके बाद गैंग मे फुट पड़ जाती है. 

    जितने बड़े जाती के यानी श्री राम और लाला राम के लोग, राजपूत जाती के श्री राम और लाला राम के साथ हो जाते हैं, और जितने मल्लाह जाती के थे सब विक्रम के साथ हो जाते हैं जिसमें फूलन भी थी. 

     अब चुकी फूलन देवी के गैंग मे बहुत कम लोग आते हैं, क्युकी उस गैंग मे ज्यादातर लोग राजपूत थे, और दोनों गैंग मे लड़ाई हो जाती है जिसमें विक्रम मल्लाह और उसके आदमी मारे जाते हैं. 

   उसके बाद श्री राम और उसके आदमी फूलन देवी को उठा कर अपने गांव बेहमई ले गए जहा 3 हफ्ते तक फूलन देवी को नग्न अव्यवस्था मे एक छोटे से कमरे में रखा गया जहा बारी बारी से 3 दर्जन लोग रोज फूलन देवी का रेप करते थे.

        इन बीच वहां गांव के एक मल्लाह जाती के आदमी को इसकी भनक लगती है, फिर उसने फूलन देवी के गैंग के दो लोग जो बच गए थे उनके साथ मिलकर फूलन देवी को वहां से निकलने का प्लान बनाते है, चुकी 3 हफ्ते हो गए थे और फूलन की हालत बहुत खराब थी रेप होते रहने के कारण तो उसकी देख रेख मे जो लोग थे वो भी लापरवाह हो गए थे, जिसका फायदा उठाकर ये तीन लोग फूलन को वहां से निकल ले गए.

फूलन देवी

 उसके बाद फूलन देवी ने अपने साथी की मदद से अपने गांव के आसपास के मल्लाह जाती के लोगों को अपने गैंग मे शामिल करने लगी, और उस गैंग की लीडर खुद फूलन देवी बनी.

     अब फूलन देवी अपने गैंग के साथ लूटपाट करने लगी, और ज्यादातर ये लोग उच्च जाति के लोग को लूटते, अभी तक फूलन देवी up के आसपास इलाके तक ही जानी जाती थी.  और वहा ये अपने जाती के लोगों की मदद करती उनके शादी मे खर्च को उठाती, और बदले मे वहां के लोग भी फूलन की पुलिस की खबर देते. पुलिस की मुखबिरी करते.

फूलन देवी ने कितने लोगों को मारा | फूलन देवी ने कितने ठाकुरों को मारा था |

अब आता है फूलन के जीवन का तीसरा हिस्सा-

  रेप के ठीक सात हफ्ते बाद यानी 14 फरवरी 1981 को फूलन को ख़बर मिलती है, कि श्री राम और लाला राम, जिसके आदमियों ने 3 हफ्ते तक फूलन का रेप किया था वो अपने गांव के एक शादी में आने वाले है,

   फूलन अपने आदमियों के साथ पुलिस के कपड़े मे, ताकि कोई पहचान ना पाए वहां पहुंचती है, लेकिन उसके पहले श्री राम और लाला राम को इसकी खबर मिल जाती है, और वे इस शादी मे नहीं आते है.

    अब शादी में जिन्होंने फूलन के साथ रेप किया था, उनमे से केवल दो लोग मिलते है.. कहते है कि फूलन इतने गुस्से मे थी कि उन्होंने उस शादी के सभी आदमियों को एक तरफ कर दिया और अपने आदमियों के साथ वहां कुल 22 लोगों को एक साथ गोली मार कर हत्या कर दी. अब इस सामुहिक हत्याकांड की खबर जंगला की आग की तरह पूरे हिंदुस्तान मे फैल जाती है. और इसके बाद ही फूलन देवी  पूरे हिंदुस्तान मे एक बड़ी खबर बन जाती है, और फूलन को उपाधि मिलती है

फूलन देवी क्यों प्रसिद्ध है

     अब चुकी ये बड़े जातियों का मामला था, तो जगह जगह फूलन के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे, और फूलन देवी को पकड़ने की मांग तेज होने लगी उस समय UP के CM थे वीपी सिंहऔर देश की PM थी श्रीमती इंदिरा गांधी.  भिंड के एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी थे, भिंड और चंबल लगभग एक ही था, भिंड से ही चंबल की शुरूवात होती है, एसपी ने फूलन से बातचीत करने की कोशिश की उनके और फूलन के बीच एक आदमी के जरिए ताकि फूलन सरेंडर कर दे, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हो रहा था, इसी बीच फूलन के कई साथी मारे गए, लेकिन फूलन पकड़ मे नही आयी.     ये सब होते होते 2 साल बीत गए लेकिन फूलन देवी हाँथ नहीं आयी, अब श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी बातचीत का रास्ता निकालने की बात कही, जिसके बाद एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी ने अपनी कोशिश तेज कर दी, जिसका नतीज़ा ये हुआ कि 2 साल बाद 1982 मे फूलन देवी बात करने को राजी हो गई और सरेंडर करने के लिए राजी हो गई.   अब इसका कारण ये भी था कि फूलन देवी के कई आदमी मारे जा चुके थे, गांव के लोग जो जंगलों तक राशन पानी पहुँचाते थे, वे पुलिस के कारण नहीं पहुचा पाते थे. और फूलन भी बीमार रहने लगी.

 लेकिन फूलन देवी ने सरेंडर होने के लिए 6 शर्तें रखी

वो UP मे सरेंडर नहीं करेगी क्युकी उन्हें up पुलिस पे भरोसा नहीं था

वो MP मे सरेंडर करेगी,तो वहां CM मौजूद होने चाहिए, उस समय वहा के सीएम अर्जुन सिंह थे. 

वो पुलिस के पास सरेंडर नहीं करेगी, ब्लकि वो दुर्गा माता और महात्मा गांधी के फोटो के पास अपने हथियार रख कर सरेंडर करेगी.

उनके या उनके साथियो को फांसी की सज़ा नहीं दी जाएगी.

फूलन देवी को छोड़कर उनके साथियो को 8 साल से ज्यादा की सजा नहीं होगी और उसके बाद सबको जमीन दी जाए ताकि वे सम्मानित जीवन जी सके. 

जिस दिन और जहा सरेंडर करेगी वहां उनके परिवार के सभी लोग होने चाहिए.      सरकार ने सभी शर्तों को मान लिया, और फरवरी 1982 मे भिंड के एक स्थान पर फूलन देवी और उसके आदमियों ने दुर्गा माता और गांधी जी के फोटो के आगे अपने हथियार बारी बारी से रख कर सरेंडर कर लेते हैं,अब जब फूलन सरेंडर कर रही थी 300 पुलिस वाले उपस्थित थे, वहां के सीएम अर्जुन सिंह थे, और फूलन को देखने के लिए करीब 15000 लोग वहां आ गए थे जिन्हें सम्भालने मे पुलिस को काफी मशक्कत करनी पडी.    इस तरह फूलन देवी जंगलों से निकल कर जेल पहुच गई लेकिन शायद उन्हें हमारी सिस्टम के बारे मे मालूम नहीं था. फूलन देवी पे 48 मामले पर केस दर्ज किया गया.  लेकिन केस की 11 साल तक कोई सुनवाई नहीं हुई और बिना सुनवाई के फूलन देवी 11 साल जेल मे रही इसी बीच उनका दो ऑपरेशन भी किया गया, जिसमें कहा गया कि उनका बच्चा दानी निकाल लिया गया है, ताकि कोई दूसरा फूलन देवी जैसा ना आ पाए.

अब आता है फूलन देवी के जीवन का आखिरी –

 बार बार बीमार होने के कारण फूलन देवी को 1994 में पे रोल पे रिहा किया जाता है. अब तक लोगों के दिल मे फूलन देवी के लिए फूलन देवी की कहानी को जानकर एक सॉफ्ट कार्नर बन चुका था, जिस तरह बचपन से फूलन देवी पे अत्याचार किया गया ये सब बातों से लोगों मे फूलन की ओर दया भावना जागृत हो गई थी.

फूलन देवी को किसने और क्यों मारा था

 उस समय 1994 मे up के सीएम थे मुलायम सिंह यादव, उन्हें जब पता चला कि फूलन देवी पे रोल पे बाहर है, और 11 साल से बिना सुनवाई के जेल मे रही है, और ये भी की लोगों मे उनकी काफी लोकप्रियता है.     उसके बाद मुलायम सिंह ने फूलन देवी पे लगे सभी आरोपों को वापस ले लिया, अब जबकि फूलन पर अब कोई केस ही नहीं रह गया, तो अब वो एक आजाद नागरिक थी.  इसी बीच 1995 मे अचानक फूलन देवी उमेद सिंह बिल्डर से शादी कर लेती है.फूलन देवी की लोकप्रियता इतनी थी कि उनसे लोग मिलने को बेताब रहते थे, इसी का फायदा उठाकर मुलायम सिंह ने 1996 मे फूलन देवी को समाजवादी पार्टी की तरफ से मिर्जापुर से लोकसभा का टिकट दे दिया, और वो जीत भी गई.     और इस तरह जंगलों से निकल कर फूलन देवी लोकसभा की सदस्य बन गई.

1996 से 98 तक वो लोकसभा की सदस्य रही उसके बाद 1998 फिर चुनाव हुआ जिसमें वो हार गई, और फिर 1999 मे चुनाव हुआ और फिर फूलन देवी मिर्जापुर से जीत जाती है.       लेकिन 2001 मे MP रहते हुए, शेर सिंह राणा के द्वारा गोली मार दिए जाने के कारण इनकी मौत हो जाती है.    ये था फूलन देवी की 1963 से 2001 तक का सफर.. जो अच्छी तो बिल्कुल भी नहीं थी.  एक इंटरव्यू मे फूलन देवी ने कहा था कि काश वो एक आम आदमी की तरह सुरू से जीवन जी पाती.  शाहरूख खान उनके फेवरेट एक्टर थे.

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