रात में यहां रुकने वाले कभी जिवित नहीं मिले, जो यहां रुका या तो वो अंधा बहरा गूँगा हो जाता है, या पागल हो जाता है. ये है वृंदावन के निधिवन का रहस्य जहां के रंगमहल में आज भी श्री कृष्ण आते है और गोपियों के साथ रासलीला करते है.
निधिवन का रहस्य आख़िर क्या है
निधिवन – रात में यहां रुकने वाले कभी जिवित नहीं मिले, जो यहां रुका या तो वो अंधा बहरा गूँगा हो जाता है, या पागल हो जाता है. ये है वृंदावन के निधिवन का रहस्य जहां के रंगमहल में आज भी श्री कृष्ण आते है और गोपियों के साथ रासलीला करते है.
मथुरा के वृंदावन के निधिवन जहा 16000 वृक्ष है, ये सभी वृक्ष नीचे की तरफ बढ़ते है, और सभी एक दूसरे से लिपटे हुए है. खास बात यह है कि सभी वृक्ष नीचे से इनकी टहनियां पूरी सुखी हुई है जैसे एक चिंगारी से भी इनमें आग लग जाये, लेकिन ऊपर से पूरी हरि भरी है.
निधिवन में रात में क्या होता है ( nidhivan story)
कहते हैं कि लगभग ढाई एकड़ में फैले इस वन के सभी वृक्ष भगवान श्रीकृष्ण की गोपियां है, जिनसे मिलने भगवान श्रीकृष्ण हर रोज रात को आते हैं, और तब ये वृक्ष गोपियों का रूप ले लेता है. अब आते है वहा के रंगमंच की तरफ जहा श्री कृष्ण के लिए दातुन पान लड्डू और सोलह श्रंगार की वस्तुएँ रखी जाती है, कहते हैं कि जब श्री कृष्ण यहा आते हैं तो वे इन सबका उपयोग करते हैं. ये एक ऐसी सच्चाई है जिसपे कोई जल्दी भरोसा नहीं कर पाता लेकिन आप वहा जाएंगे तो आप की सारी दुविधा दूर हो जाएगी. शाम होते ही यहां से सबको अंतिम आरती के बाद बाहर निकलने को बोल दिया जाता है, इंसान तो इंसान यहां सैकड़ों बंदर और हज़ारों की संख्या में पंछी आते है जो सुबह से ही यहां आ जाते हैं, लेकिन जैसे ही अंधेरा होना सुरु होता ये ये सारे बंदर पंछी एक-एक करके जाने लगते हैं, ऐसा लगता है मानो सभी को किसी ने जाने को कह दिया हो और शाम होते ही जहां सुबह से बंदर और पंछियों की आवाजें गूँज रही थी, एक दम सन्नाटा छा जाता है.
निधिवन में कृष्ण आते हैं
रात के अंतिम आरती के बाद लगभग 8 बजे रंगमहल मे श्री कृष्ण के लिए बिछावन दातुन पान लड्डू सोलह श्रंगार की वस्तु रख दी जाती है, तथा दरवाजों को सात तालों से बंद किया जाता है, और सील लगा दिया जाता है,. यहां दो दरवाजे है पहले दरवाजे पर तीन ताले और दूसरे पर चार ताले लगाए जाते है, इस दरवाजे को बिना खोले अंदर कोई नहीं जा सकता है. और रंगमहल के अंदर जाने का दूसरा कोई रास्ता नहीं है, उसके बाद गार्ड पूरे निधीवन मे देखता है कि कोई रह तो नहीं गया और आवाजें लगाता है कि, कोई है तो बाहर निकल जाए.
कहते हैं कि जिस किसी ने भी रात को वहां रुकने की हिम्मत दिखाई सुबह वो सही हालत मे नही मिला, वो बस एक तरफ देखकर हंसता हुआ मिला या गूँगा बहरा अंधा मिला. इसका खौफ इतना है कि रात को लोग इस तरफ देखने से भी डरते हैं, इसलिए आसपास के सभी घरों में शाम होते ही निधिवन के तरफ़ खुलने वाली खिड़कियों को बंद कर दिया जाता है, कई लोगों ने तो अपने घर भी बदल दिए है.
रात को मंदिर बंद होने के बाद सुबह क्या होता है –
जब सुबह वहां के पुजारी सुबह की आरती के समय उन सात तालों को खोलकर रंगमहल का दरवाज़ा खोलते है तो अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है. जो दातुन रात को रखा गया था, वो उपयोग में लाया जा चुका होता है, पान चबाये हुए मिलते हैं. लड्डू खाया हुआ मिलता है, यानी श्री कृष्ण यहां आए थे, क्युकी किसी आम इंसान का बिना ताले खोल कर अंदर आना बिल्कुल नामुमकिन है.अब इसके लिए कई लोगों ने वहां के वृक्ष को एक दूसरे से धागों मे बाँध दिए, लेकिन सुबह आते ही वो सभी धागे टूटे हुए मिले.
अब जो भी हो जिन्हें हम पूरी तरह से आँखों से देख नहीं लेते उसपे विश्वास हो नहीं पाता, लेकिन महसूस तो किया जा सकता है, अगर आप यहां जाए तो आपको महसूस जरूर होगा, वैसे ही जैसे हवा दिखती नहीं पर होती है महसूस होती है. आत्मा होती है जो मरने के बाद शरीर छोड़ देती है, जो लोग इसे नहीं मानते वो इसे पूरी तरह से नकार भी नहीं पाते है, ठीक वैसे ही जैसे हमारी धरती की तरह कई धरती है जिसपे जीवन है, पर क्या किसी ने देखा है पर वैज्ञानिक भी इसे सच मानते है।
तो बात ये है कि जहां से इंसानी दिमाग का सोचना बंद हो जाता है, वहां से ये अदृश्य शक्तियां अपना काम करना सुरू करती है, तो अगर आप यहां नहीं है तो जरूर जाए, क्युकी ऐसा चमत्कार देखने के लिए आपको किसी और ब्रह्मांड मे जाने की जरूरत नहीं है, आपको ये यही दिख जाएंगी.
मथुरा से निधिवन की दूरीमथुरा से निधिवन की दूरी लगभग 28 km है, अपनी सवारी या बस से आपको 30 मिनट लगेंगे यहा जाने मे. जब कि ट्रेन से लगभग 1 घंटा 30 मिनट लगता है.
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