Begunkodar Railway Station Story In Hindi : आज 2024 मे भी शाम 5 बजे के बाद रेल्वे कर्मचारी भी भाग जाते हैं स्टेशन से.

Begunkodar Railway Station (बेगुनकोढ़र रेल्वे स्टेशन) भूतिया रेल्वे स्टेशन जो कि पुरुलिया से 50 km की दूरी पर एक गाँव  है Begunkodar वहा ये स्टेशन है जो कि वेस्ट बंगाल मे है. यह ऐसा स्टेशन है जिसे 1968 में भूतिया HAUNTED स्टेशन करार कर दिया गया था रेल्वे की तरफ से, इसका इतना खौफ है कि यहां आज भी शाम के बाद कोई नहीं आता, और जितनी भी ट्रेन यहां से रात को गुज़रती है तो चालक ट्रेन की चाल तेज कर देता है ताकि यह स्टेशन जल्दी पार हो जाए लोग भी अपने खिड़की दरवाजे बंद कर देते हैं और इस तरफ नहीं देखते.

Begunkodar Railway Station Story In Hindi :

बात है 1962 की तब इस गांव में कोई स्टेशन नहीं था लोगों को ट्रेन पकड़ने के लिए दूर जाना पड़ता था, तो लोगों ने गांव वहां की सरकार से MLA से यहां एक स्टेशन बनाने की गुजारिश की तब 1962 मे एक छोटा सा रेल्वे स्टेशन यहां बनाया गया,लोग बहुत खुश हुए अब उन्हें यही से ट्रेन मिल जाती.

Begunkodar railway station

       लेकिन 5 साल बाद 1967 आते आते यहां कुछ अजीब घटना होने लगी, तब वहा के स्टेशन मास्टर थे मोहन, जिनकी नई पोस्टिंग वहां हुई थी, कुछ दिन ठीक था उसके बाद उन्हें यहां एक लड़की जो कि ट्रेन आने पर ट्रेन के साथ दौड़ने लगती थी नजर आई, इन्होने ध्यान नहीं दिया लेकिन अब शाम के वक़्त 4-5 दिन ये लड़की दिखाई दी तब उन्हें कुछ डर लगा और उन्होंने तबीयत खराब है कह कर अपने गांव चले गए, और 2 दिन बाद ही उनकी मौत हो गई, लेकिन तब तक उन्होंने इस लड़की के बारे मे वहां के स्टाफ से बोल दिया था,कि उन्हें एक लड़की दिखाई देती है जो ट्रेन के साथ दौड़ती है और कभी ट्रेन के आगे आगे पटरी पे दौड़ती है और खुश होने पे ये नाचती भी है. 

 उसके बाद वहा एक दूसरे स्टाफ को भेजा गया लेकिन उसे भी यह लड़की दिखाई दी और कुछ दिनों मे उसने यहा आने से मना कर दिया, उसके बाद 3-4 और स्टाफ को भेजा गया लेकिन उन्हें भी यह लड़की दिखाई दी और सब ने यहां ड्यूटी करने से मना कर दिया अब 1968 आ चुका था. 

आलम ये था कि अब ना यहां कोई स्टेशन मास्टर था ना ही कोई लाइन मैन था, ना कोई टिकट काउन्टर पे था, ये बात पूरे कोलकाता तक फैल चुकी थी, अब यहां कोई स्टाफ काम नहीं करना चाहता था, तो बिना स्टाफ बिना लाइन मैन के ट्रेन भी यहां रुक नहीं सकती थी तो ट्रेन रुकना बंद हो गई, और तो और लोगों ने भी डर से वहां जाना बंद कर दिया, तब वहा के MLA नेपाल महतो से बात की गई तो उन्होंने भी कहा कि लोगों को भी यहां लड़की दिखाई देती है और जब लोग ही वहां नहीं जाना चाहते तो ट्रेन किसके लिए रुकेगी, फिर झारखंड के डिप्टी CM  सुधीर महतो ने भी इसका समर्थन किया अब पोलिटिकली भी ये कहा जा चुका था कि वहा लड़की की आत्मा है. तब रेल्वे को officially ये कहना पड़ा कि चुकी वहां कोई स्टाफ जाना नहीं चाहता और लोग भी वहां नहीं आते क्युकी वह स्टेशन भूतिया हॉन्टेड है तो इस स्टेशन को बंद किया जाता है, और तब वह स्टेशन बंद कर दी गई ऑफिशियल तौर पे।

        चुकी यह बात पूरे कोलकाता तक फैल चुकी थी तो जितने भी टूरिस्ट आते थे लोग उन्हें यह स्टेशन दिखाने लाने लगे और पैसा कमाने लगे.

Huntend railway station

Begunkodar रेल्वे स्टेशन में क्या हुआ था –

आप यहां के किसी भी बच्चे या बूढ़ों से पूछे तो सबको ये पता है और सभी यही कहते हैं कि वो लड़की जब स्टेशन यहा बनी तो वह ट्रेन की चपेट मे आ गई और उसको आत्मा यही रह गई है जो अधिकतर शाम को 5 बजे के बाद दिखाई देती है, वहा एक पेड़ है जिसपे ये रहती है और ट्रेन आने पर उसके साथ दौड़ती है. 

भूतो की जांच करने वाली टीम – Begunkodar Railway Station Story In Hindi

    करीब 30-40 साल बीत गए तब तक ये बात हर जगह फैल चुकी थी, तब अपने GAURAV TIWARI का नाम सुना होगा जो बहुत प्रेतों की जांच करते थे जिनको रहस्यमयी ढंग से मौत हो चुकी है वो और उनको टीम कुल 11 लोग यहां आते है गांव के लोगों से बात करते है, तो सभी गांव वाले वहा ना जाने की सलाह देते हैं, लेकिन ये टीम रात को वहा रुकती है जिनके भी बहुत कैप्चर करने वाले equipments थे ये जगह जगह लगाती है और रात भर वहा रुकती है, पहली बार 40 साल बाद वहा रात मे कोई रुका था, लेकिन उन्हें भूत जैसा कुछ नहीं मिलता और वो चले जातें है. 

Which Train Passes Through Begunkodar Railway Station :

चुकी अब ये बहुत दिन से बंद था और वहा नए लोग जो तब छोटे थे वो बड़े हो गए थे जिनमे कुछ लोग ये सब नहीं मानते थे उन्होंने वहा के नेताओ से इसे फिर से चालू करने को कहा तब ममता बनर्जी रेल्वे मिनिस्टर थी, उनके पास नेताओं आग्रह किया तब ममता बनर्जी ने इसकी पूरी जानकारी ली, भूतो की जांच वाली टीम ने भी कहा कि वहा कुछ नहीं मिला. 

तब 2009 मे 42 साल बाद सितंबर मे वहां एक ट्रेन रुकी जो राँची हटिया एक्सप्रेस थी, रेल्वे स्टाफ को एकदिन पहले ही.. वहा भेजा जा चुका था, 42 साल बाद कुछ लोग वहा उतरे, कुछ लोग चढ़े. और धीरे धीरे लोग वहां आने लगे. लेकिन आज भी वहा शाम 5 बजे के बाद कोई नहीं जाता और ना ही कोई स्टाफ वहां रुकते है और ना ही कोई ट्रेन शाम 5 बजे के बाद रुकती है. 

तो ये थी एक सच्ची घटना इंडिया के एक भूतिया रेल्वे स्टेशन की |

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