1.राज़ जो कुछ हो, इशारों में बता भी देना,
हांथ जब उससे मिलना, तो दबा भी देना
वैसे इस खत में कोई बात नही है, फिर भी
ऐताहतान इसे पढ़ लो तो जला भी देना ।
2. किसने दस्तक दी ये दिल पर, कौन है,
आप तो अंदर है बाहर कौन है,
3. जवान आंखो के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गांव में अमरूद पक रहे होंगे
भुला दे मुझको मगर, मेरी उंगलियों के निशा
तेरे बदन पर अब तक चमक रहे होंगे।
4. आग के पास कभी मोम को लाकर देखूं
हो इजाज़त तो तुझे हांथ लगाकर देखूं
मन का मंदिर बड़ा वीरान नजर आता है
सोचता हुं तेरी तस्वीर लगा के देखूं ।
5. मेरी सांसों में समाया भी बहुत लगता है,
और वही शख्स पराया भी बहुत लगता हैं,
उससे मिलने की तमन्ना भी बहुत है,
लेकिन आने जाने में किराया भी बहुत लगता हैं।
6. फैसला जो कुछ भी हो मंजूर होना चहिए
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चहिए।
कट चुकी है उम्र सारी जिनकी, पत्थर तोड़ने में,
अब तो इन हाथों में कोहिनूर होना चहिए।
7. हम अपनी जान के दुश्मन को, अपनी जान कहते हैं,
मोहब्बत के इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं।
जो ये दीवार का सुराख है, साज़िश का हिस्सा है
मगर हम इसे अपने घर का रोशन दान कहते हैं
जो दुनिया को सुनाई दे उसे कहते है ख़ामोशी
जो आखों में दिखाई दे, उसे तूफ़ान कहते हैं।
8. सिर्फ़ खंजर ही नहीं, आंखो में भी पानी चहिए,
ए खुदा दुश्मन भाई मुझको खानदानी चहिए।
मैने अपनी खुश्क आखों से लहू छलका दिया
एक समुंदर कह रहा था मुझको पानी चाहीए।
9. जो तौर है दुनियां का, इसी तौर से बोलो
बहरों का इलाका है, जरा जोर से बोलो,
दिल्ली में केवल हम ही बोला करे अम्ल की बोली,
यारो कभी तुमलोग भी लाहौर से बोलो।
10. बुलाती है मगर जाने का नई
ये दुनियां है इधर जाने का नई,
जमीं भी सर पर रखनी हो तो रक्खओ
चले हो तो ठहर जाने का नई
सड़क पर अर्थिया ही अर्थियां है
अभी माहौल मर जाने का नई
है दुनियां छोड़ना मंजूर लेकिन
वतन को छोर कर जाने का नई
मेरे बेटे, किसी से इश्क कर
मगर हद से गुज़र जाने का नई।