रतन टाटा भारत के प्रमुख उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष हैं, जिन्हें उनके नेतृत्व, समाज सेवा और भारतीय उद्योग में उल्लेखनीय योगदान के लिए जाना जाता है। उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था और वह जमशेदजी टाटा के वंशज हैं, जिन्होंने टाटा समूह की नींव रखी थी। रतन टाटा ने टाटा समूह का नेतृत्व करते हुए कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित किया। 9 अक्टूबर 2024 को उनका निधन हो गया।
रतन टाटा का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा : ratan tata
रतन टाटा का जन्म एक प्रतिष्ठित पारसी परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।
टाटा समूह के साथ करियर
रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत टाटा स्टील के शॉप फ्लोर से की। 1991 में, उन्हें टाटा समूह का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), टाटा मोटर्स और टाटा स्टील जैसी कंपनियों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर अपना परचम लहराया। उन्होंने टाटा नैनो और टाटा इंडिका जैसी किफायती कारों को लॉन्च कर भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में क्रांति लाई।
रतन टाटा की प्रमुख उपलब्धियां
- टाटा मोटर्स द्वारा जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण।
- टाटा स्टील द्वारा कोरस का अधिग्रहण, जो उस समय भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा अधिग्रहण था।
- टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज को वैश्विक स्तर पर आईटी सेवा क्षेत्र में अग्रणी बनाना।
- भारत की सबसे किफायती कार टाटा नैनो का विकास।
समाज सेवा और परोपकार
रतन टाटा अपने परोपकारी कार्यों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने टाटा ट्रस्ट के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में कई परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) में टाटा समूह का योगदान अतुलनीय है।
रतन टाटा के पुरस्कार और सम्मान
रतन टाटा को उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) शामिल हैं, जो भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं।
रतन टाटा द्वार कहे गए कुछ चुनिंदा qoutes :
लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता, परन्तु उसका अपना जंग उसे नष्ट कर सकता है ! इसी तरह, कोई भी व्यक्ति को नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसकी अपनी मानसिकता ऐसा कर सकती है।”
– “लोग आप पर जो पत्थर फेंकते हैं, उन्हें ले लीजिए और उनका उपयोग स्मारक बनाने में कीजिए।”
– “मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं रखता। मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही बनाता हूं।”
-“जिस दिन मैं उड़ने में सक्षम नहीं होऊंगा, वह मेरे लिए दुखद दिन होगा।”
अंत में, हमें केवल उन अवसरों का अफसोस होता है, जिन्हें हमने नहीं भुनाया।”
-“जीवन में उतार-चढ़ाव हमें आगे बढ़ने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि ईसीजी में भी सीधी रेखा का मतलब है कि हम जीवित नहीं हैं।”
-“मुझे नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा, लेकिन मुझे पता है कि मुझे सकारात्मक रूप से आश्चर्य होगा।”
-“यदि आप तेज चलना चाहते हैं, तो अकेले चलें। लेकिन अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं, तो साथ-साथ चलें।”
– “जीतने का एकमात्र तरीका यह है कि हारने से न डरें।”
-“सबसे बड़ी असफलता प्रयास न करना है।”