श्री सूक्त पाठ करने की विधि और दिवाली में इसके लाभ
श्री सूक्त लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए किया जाने वाला एक शक्तिशाली स्तोत्र है। दिवाली पर इसका विशेष महत्व होता है क्योंकि ये दिन माँ लक्ष्मी का पर्व माना जाता है।
श्री सूक्त पाठ विधि:
स्थान और समय: सुबह या शाम का समय श्री सूक्त पाठ के लिए उचित माना जाता है। एक साफ जगह पर, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
सामग्री: एक ताम्बे का कलश, जल, एक दीपक, कुमकुम, अक्षत (चावल), पुष्प, और घी का दीपक रखें। माँ लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र सामने रखें।
शुद्धिकरण: स्नान करके साफ वस्त्र पहनें। फिर आसन पर बैठकर ध्यान करें और मन को शांत करें।
संकेत: एक दीपक जलाएं, कुमकुम, पुष्प और अक्षत से माँ लक्ष्मी का पूजन करें। कलश में जल भरकर उसे माँ लक्ष्मी के सामने रखें।
पाठ आरम्भ करें: श्री सूक्त के श्लोकों का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट करें। इसे 5, 11, या 21 बार तक किया जा सकता है।
श्री शुक्त पाठ :
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।
तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।
अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।
श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।
आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।।
उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।
गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।
मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।
कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।
आर्द्रां य करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।।
तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।।
य: शुचि: प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।
सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकाम: सततं जपेत् ।।
।। इति समाप्ति ।।
ध्यान और मनन: पाठ समाप्त करने के बाद माँ लक्ष्मी का ध्यान करें और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
दिवाली पर श्री सूक्त पाठ के लाभ:
धन और समृद्धि का आशीर्वाद: श्री सूक्त पाठ माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करता है जिससे आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। दिवाली पर ये पाठ घर में धन-संपत्ति, सुख-शांति और ऐश्वर्य लाता है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: श्री सूक्त पाठ से घर में मौजूद सभी नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं। दिवाली पर इसे करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
सुख-शांति की प्राप्ति: श्री सूक्त पाठ से मन को शांति मिलती है और घर में सुख-शांति का माहौल बनता है।
व्यवसाय और नौकरी में उन्नति: यह पाठ व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार लाता है और कार्यक्षेत्र में सफलता और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
आध्यात्मिक उन्नति: श्री सूक्त पाठ से ध्यान और आत्मिक शक्ति बढ़ती है जिससे जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।
दिवाली पर श्री सूक्त का पाठ करना बेहद शुभ माना गया है और इससे माँ लक्ष्मी की कृपा सदैव प्राप्त होती है।